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Unnatural Sex Treatment in Noida

About Unnatural Sex Treatment in Noida

अनैसर्गिक मैथुन – एक लैंगिक विकृति – UNNATURAL SEX

जीवन की आनंदमय अनुभूति ”सैक्स” के बिना अधूरी है | प्रकृति से व्यक्ति को मिला हुआ ”यह” एक अध्वितिय तोहफा है | इसे अगर प्राकृतिक तरीके से इस्तेमाल करें तो वह एक वरदान है | परंतु कुछ लोग इसका ग़लत इस्तेमाल करते हेन, विकृत सैक्स आजमाते हैं, जो कि एक लैंगिक विकृति ही है |

संभोग का अर्थ है, समान भोग, जिसमें स्त्री और पुरुष दोनों समान रूप से भोग करते हैं | इसमें अगर एक को सुख की अनुभूति हो रही है, और दूसरे को कष्ट हो रहा है तो उसे संभोग नहीं कहा जा सकता | लोग ऐसा दूसरे के लिए कष्टकारक विकृत बर्ताव क्यों करते हैं ? उसके पीछे अनेक तर्क हैं |
Sexologist in Noida




यौनविशेषगयों तथा मनोचिकित्सकों के अनुसार, जो लोग सामान्य तरीके से यौनसुख प्राप्त नहीं करते, जिसकी वजह से उन्हें अपने साथी के सामने जलील होना पड़ता है, तो उनका मस्तिष्क कुंठित हो जाता है, और वे विकृत सैक्स की तरफ बढ़ते हैं | नाबालिक लड़के – लड़कियों का यौनशोषण, अपनी ही बहू–बेटियों के साथ कुकर्म, इसी का परिणाम है | ये विकृतियाँ अनेक हैं, उनमे से कुछ विकृतियों के बारे में नीचे लिख रहे हैं |

LESBIANISM :-

दो स्त्रियाँ जब आपस में, लैंगिक संबंध रखती हैं, तब इस विकृति को Lesbianism कहा जाता है | ऐसी स्त्रियों को पुरुषों से असीम घृणा होती है | पुरुषों में भी यह विकृति दिखाई देती है | जब दो पुरुष आपस में लैंगिक संबंध रखते हैं, तब उनको Homosexual कहा जाता है |

इस तरह से समलैंगिक संबंध रखनेवाले व्यक्तियों को देखने मात्र से उनमें कोई विकृति है ऐसा नहीं कहा जा सकता | क्योंकि ये व्यक्ति और दूसरे व्यक्तियों की तरह दिखने में नॉर्मल तथा बुद्धिमान भी हो सकते हैं |

BESTIALITY :-

(पशुमैथुन) इसमें पशु के साथ मैथुन–क्रिया की जाती है | पशु जैसे कुत्ता, बिल्ली, गाय, भैंस, मुर्गा, बकरी ई. यह विकृति स्त्री हो या पुरुष किसी में भी हो सकती है |

SODOMY :-

(गुदामैथुन) इसमें पुरुष अपने पार्ट्नर के गुदाध्वार से मैथुन का आनंद लेता है | यह एक अनैसर्गिक क्रिया है |

PEDOPHILIA :-

इसमें बड़ी उम्र के लोग, बच्चों के साथ, लैंगिक खेल करके, मैथुन का आनंद उठाते है |

ORAL SEX :-

(मुखमैथून)पुरुषों की इंद्रिय अथवा स्त्री की योनि मुख में लेकर, जो मैथुन क्रिया करते हैं, उसे मुखमैथून कहा जाता है | कुछ देशों में इसे प्राकृत माना गया है | परंतु अपने देश में इसे विकृतिही मानते हैं |

SADISM :-

एक पुराने समय के राजा “Said” के नाम से यह शब्द बनाया है | मैथुन के समय, अपने पार्ट्नर को पीड़ा तथा टॉरचर करके, सुख का अनुभव करना इसमें शामिल है | यह विकृति स्त्री–पुरुष दोनों में पाई जाती है | ज़्यादातर पुरुष इस विकृति से ग्रस्त होते हैं | इसमें कभी–कभी टॉरचर इस हद तक बढ़ जाता है, कि Active Partner अपने दूसरे पार्ट्नर का खून भी कर सकता है |

NEEROPHILIA :-

स्त्री को मार कर, फिर उसके शव के साथ मैथुन करना, इसे Neerophilia कहते हैं |

MESOCHISM :-

खुद को पीड़ा देकर यौनसुख उपभोग करने की विकृति कुछ लोगों में होती है, उसे Mesochism कहते हैं |

FETISHIM :-

यह विकृति प्राय: पुरुषों में मिलती है | स्त्री की किसी वस्तु, अथवा किसी अवयव के प्रति जबरदस्त आकर्षण होना, इसमें शामिल किया जा सकता है |

EXHIBITIONISM :-

इसमें व्यक्ति अपने नग्न शरीर का प्रदर्शन आनेजाने लोगों के सामने करता है | ऐसा करने से उसे अपनी कामतृप्ति का एहसास होता है | अपरिचित स्त्री के सामने अपने जननेंद्रियों का प्रदर्शन करना, हस्तमैथुन करना, इत्यादि इसमें शामिल किया जा सकता है | ज़्यादातर यह विकृति पुरुषों में पायी जाती है | परंतु स्त्रियाँ भी इस विकृति का शिकार हो सकती हैं |

TRANSVESTISM OR EONISM :-

इससे ग्रस्त व्यक्ति विपरीत लिंगी व्यक्ति के कपड़े पहनकर, लैंगिक सुख अपनाते है |

VOYEURISM :-

इसमें दूसरों की कामक्रीड़ा देखकर, अथवा खुद की कामक्रीड़ा चित्रित करके देखनेपर, कामतृप्ति का एहसास होता है |

जो लोग इस तरह की विकृतियों को अपनाते हैं, वह यौनसंबंध का पूर्ण आनंद नहीं ले पाते | तथा अपनी इस कमज़ोरी की वजह से शादी ही नहीं कर पाते | और अगर शादी करते भी है, तो एक दूसरे को यौनसुख नहीं दे पाते | वे अपना रिश्ता सिर्फ़ बच्चों के वजह से ढोते रहते हैं | वैवाहिक जीवन में तनाव की वजह से वह अपने आप को, फैमिली तथा बच्चों को संतुष्टि नहीं दे पाते जिसकी वजह से कभी–कभी तलाख की भी नौबत आ जाती है | कभी–कभी इन विकृतियों से ग्रस्त व्यक्ति लैंगिक अपराध जैसे जबरन यौनशोषण व बलात्कार आदि कर बैठते हैं | जिससे उसके घरवालों और खुद उस व्यक्ति का जीवन दुःखों से भर जाता है | ऐसे व्यक्ति समाज को दूषित करते हैं |

लैंगिक विकृति के जो मरीज शादी नहीं करते, उनको जवानी में तो कुछ समस्या नहीं आती पर बुढ़ापा आने पर, शरीर कमजोर हो जाने पर, उनको किसी के सहारे की ज़रूरत पड़ती है, तब उनके पास कोई नहीं होता | अपना जीवन वे कष्टमय , यातनामय बना लेते हैं और कभी–कभी तो आत्महत्या के लिए भी प्रवृत्त हो जाते है |

यहाँपर यह कहना उचित होगा कि संभोग को ”समभोग” ही रहने दें | इसे असामान्य और अमानवीय बनाने का प्रयत्न न करें | अगर कोई व्यक्ति इस तरह की विकृति से पीड़ित है, तो उसे तुरंत किसी अच्छे मनोरोग चिकित्सक या गुप्तरोग विशेषग्य के पास जाना चाहिए |

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